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प्रथम और अंतिम मुक्ति हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Pratham Aur Antim Mukti Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : प्रथम और अंतिम मुक्ति | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक हैं : जे. कृष्णमूर्ति | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : राजपाल | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 3 MB है | इस पुस्तक में कुल 224 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "प्रथम और अंतिम मुक्ति" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Pratham Aur Antim Mukti | Author/Editor of this book is : J. Krishnamurthy | This book is published by : Rajpal | PDF file of this book is of size 3 MB approximately. This book has a total of 224 pages. Download link of the book "Pratham Aur Antim Mukti" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
जे. कृष्णमूर्तिप्रेरक, मनोविज्ञान3 MB224



पुस्तक से : 

मनुष्य एक ऐसा उभयधर्मी प्राणी है जो एक साथ दो विश्वों में रहता है एक विश्व तो वह है जो प्रकृति से मिला हुआ है, जो पदार्थ, जीवन और चेतना का विश्व है; और दूसरा मनुष्य द्वारा रचित प्रतीकों का विश्व है। अपनी विचार प्रक्रिया में हम भाषात्मक, गणितीय, चित्रात्मक, संगीतात्मक, कर्मकांड संबंधी एवं अन्य विभिन्न प्रकार की प्रतीक प्रणालियों का प्रयोग करते हैं।

 

कृष्णमूर्ति की रचनाओं एवं ध्वन्यंकित वार्ताओं के इस संग्रह में पाठक को मनुष्य की मूलभूत समस्या की एक स्पष्ट समकालीन अभिव्यक्ति मिलेगी, साथ ही उस समस्या का समाधान करने के लिए उसे आमंत्रण मिलेगा, और वह समाधान केवल एक ही है : व्यक्ति अपने लिए स्वयं ही समस्या का समाधान कर सकता है। सामूहिक समाधान जिनसे अनेक व्यक्ति अपनी आस्था जोड़ लेते हैं, कभी भी पर्याप्त नहीं होते।

 

वास्तव में वह क्या है जिसे कृष्णमूर्ति हमारे सामने रखते हैं? वह सच में है क्या, जिसे हम चाहें तो ले सकते हैं, लेकिन संभावना इसी की अधिक है कि उसे हम लेना ही पसंद न करें। जैसा कि हमने देखा, वह न तो विश्वासों की कोई प्रणाली या रूढ़ सिद्धांतों की कोई सूची है, न बने-बनाये विचारों एवं आदर्शों का कोई ढांचा। वे न तो कोई नेतृत्व देते हैं, न कोई ध्यान पद्धति और न कोई आध्यात्मिक दिशा-निर्देश, यहां तक कि वे कोई अनुकरणीय उदाहरण भी नहीं देते।

 

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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