Bhamini-Vilas-Hindi-Book-PDF

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भामिनी विलास का प्रास्ताविक अन्योक्ति विलास हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Bhamini Vilas ka Prastaavik Anyokti Vilas Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : भामिनी विलास का प्रास्ताविक अन्योक्ति विलास | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: पंडित जनार्दन शास्त्री पाण्डेय | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 235 MB है | इस पुस्तक में कुल 193 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "भामिनी विलास का प्रास्ताविक अन्योक्ति विलास" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Bhamini Vilas ka Prastaavik Anyokti Vilas | Author/Editor of this book is : Pandit Janardan Shastri Pandey | This book is published by : Vishvavidyalaya Prakashan, Varanasi | PDF file of this book is of size 235 MB approximately. This book has a total of 193 pages. Download link of the book "Bhamini Vilas ka Prastaavik Anyokti Vilas" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पं. जनार्दन शास्त्री पाण्डेयसाहित्य, काव्य235 MB193



पुस्तक से : 

हे विधाता! जबकि चकोरियाँ सतृष्ण और चञ्चल नेत्रोंसे पूर्वदिशा की ओर देखने लग गयी हैं, कैरवकुल का (श्वेतकमल समूह का) मौन खुलने लगा है अर्थात् वे विकसित होने लगे हैं, कामदेवने अपने धनुषको झकृत कर लिया है, मानिनी तरुणियों का मान भङ्ग होने ही वाला है, ठीक ऐसे अवसर पर चन्द्रमाको ही जलदपटल से ढक देना क्या आपको शोभा देता है ? हे कोकिल ! इसी वनके अन्दर रहकर धैर्यपूर्वक अपने इन दैन्यमय दिवसोंको तबतक बिताओ जबतक कि भौंरों के झुण्डों से घिरा कोई भी रसालका वृक्ष मञ्जरियोंसे खिल न उठे।

 

ग्रीष्मकालीन सूर्य की प्रचण्ड किरणों से शीघ्र ही मेरे सूख जाने पर इन बेचारे पथिकों का समूह जल की याचना करने किसके पास जायगा? इस मनोव्यथा से जिसका शरीर क्षीण होता जा रहा है, ऐसे मार्ग के समीपस्थ तालाब का ही जीवन धन्य है। अपार जलराशि होने पर भी किसी के उपयोग में न आने वाले समुद्रों का जन्म तो धिक्कार ही है। अल्प सामर्थ्य होनेपर भी परोपकार की भावना रखने वाले व्यक्तिका जीवन प्रशंसनीय है और प्रचुर ऐश्वर्यशाली होनेपर भी जो दूसरों के काम नहीं आता वह निन्दनीय ही है, इसी भावको इस अन्योक्ति द्वारा व्यक्त किया है।

 

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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