Kalyan-Hindu-Sanskriti-Anka-Gita-Press-Hindi-Book-PDF


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कल्याण हिन्दू संस्कृति अंक हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Kalyan Hindu Sanskriti Anka Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : कल्याण हिन्दू संस्कृति अंक | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: हनुमान प्रसाद पोद्दार, चिम्मनलाल गोस्वामी | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 2.8 GB है | इस पुस्तक में कुल 1034 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "कल्याण हिन्दू संस्कृति अंक" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Kalyan Hindu Sanskriti Anka | Author/Editor of this book is : Hanuman Prasad Poddar, Chimmanlal Goswami | This book is published by : Gita Press, Gorakhpur | PDF file of this book is of size 2.8 GB approximately. This book has a total of 1034 pages. Download link of the book "Kalyan Hindu Sanskriti Anka" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
हनुमान प्रसाद पोद्दारधर्म, भक्ति, समाज2.8 GB1034



पुस्तक से : 

ब्रह्मचर्याश्रम में गुरु शिष्यके व्यवहार की उत्कृष्टता और ब्रह्मचार्य व्रतपालन द्वारा ऊर्ध्वरेतस्त्य की प्राप्ति हिंदू-संस्कृति की अपनी विशेषताएँ हैं. गृहस्थाश्रम में पति-पत्नी, पिता-पुत्र, लघु-ज्येष्ठ भ्राता आदि के परस्पर आदर्श व्यवहार, पत्नी के लिये पातिव्रत्य धर्म, सतीत्व की श्रेष्ठता और पति के लिये पत्नी का साक्षात् गृहलक्ष्मी स्वरूप तथा पुत्र के लिये 'मातृदेवो भवः पितृदेवो भव' का उपदेश आदि ऐसी विशेषताएँ हैं, जिनके कारण हिंदू संस्कृति अन्य संस्कृतियों के समक्ष सदा ही उज्ज्वल-मुख और उन्नतभाल रही है।

 

हिंदुओंकी उपासना-शैली को पूर्णता हिंदू-संस्कृति की बहुत बड़ी विशेषता है। अधिकारानुसार मन्त्रयोग, हठयोग, लययोग, राजयोग एवं भक्ति की प्रक्रियाएँ मनुष्य को शक्तिपुंज का आगार (सिद्धिसम्पन्न) बनाकर उसे अनन्तानन्द के साम्राज्य सिंहासन पर समासीन करती हैं। इसके अतिरिक्त निरन्तर जगत्कार्य में लगे हुए लोगोंके लिये हिंदू-संस्कृति निष्काम कर्म योग का उपदेश देकर उनके सम्पूर्ण कार्यक्षेत्र को ही उपासना का साधन बना देती है.

 

जीवके आवागमन चक्र और जन्मान्तरवाद पर विश्वास भी हिंदू-संस्कृति की विशेषता है। इसी के आधार पर परलोकगामी जीव का पथ सरल रहे और उसे कष्ट न हो, इसके लिये नित्य-नैमित्तिकश्राद्ध-तर्पणादि कर्मकाण्ड की सुव्यवस्था के लक्ष्य से ही हिंदू-संस्कृति में दायभाग की विशेष व्यवस्था है और इसी लक्ष्य से पवित्र धर्मनिष्ठ पुत्र की प्राप्ति ही हिंदू संस्कृति में विवाह संस्कार का पवित्र उद्देश्य है ।

 

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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