Karmkand-Deepak-Hindi-Book-PDF


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कर्मकांड दीपक हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Karmkand Deepak Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : कर्मकांड दीपक | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: प्रेमनाथ शास्त्री| इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : विजयेश्वर पंचांग कार्यालय | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 37 MB है | इस पुस्तक में कुल 104 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "कर्मकांड दीपक" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Karmkand Deepak | Author/Editor of this book is : Premnath Shastri | This book is published by : Vijayeshvar Panchang Karyalaya | PDF file of this book is of size 37 MB approximately. This book has a total of 104 pages. Download link of the book "Karmkand Deepak" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
प्रेमनाथ शास्त्रीधर्म,37 MB104



पुस्तक से : 

भगवन्त: पाद्यम् पाद्यम्, एता वानस्य महिमातो ज्या-याश्च-पूरुषः। पादोस्य विश्वा भूतानि त्रिपादस्या - मृतं दिवि हिरण्य-वर्णाः शुचय: पावका यासु जात: कश्यपो यासु - इन्द्र:, या अग्निं गर्भ दधिरे विरूपा:-ता न आपः शंस्यो ना भवन्तु भगवते वासुदेवाय लक्ष्मी-सहिताय नारायणाय पाद्यं नमः । पाद्य-शेषं निवारयेत् ।

 

धूर्-असि धूर्व धूर्वन्तं योस्मान् धूर्वति तं धूर्वय, वयं धूवार्म: तंच धूर्व । देवानाम् असि वहनितमं सस्नि- तमं पप्रितमं इष्टतमं विष्णोः क्रमो-स्या हुतम् असि हवि दीनं वृंहस्व म्वाहान् - मित्रस्य त्वा चक्षुषा प्रेक्ष - उरुत्वा वाताय, वसवस्त्वा, धूपयन्तु गायत्रेण छन्दसांगिर - स्वत् ।

 

वन्दे महापुरुष ते चरणारविन्दम् ध्येयं सदा परिभवघ्नम्-अभीष्टदोहं- तीर्थास्पदं - शिव - विरिञ्चि नुतं - शरण्यम् । भृत्यार्तिहं प्रणतपाल भवाब्धिपोतं - वन्दे महापुरुष ते चरणार-विन्दम् । त्यक्त्वा सुदुस्त्यज सुरेप्सित-राज्यलक्ष्मीं धर्मिष्ठ-आर्यवचसा - यत्-अगात् अरण्यम् । माया मृगं दयित-येप्सितम् - अनुधावत् - वन्दे महापुरुष - ते चरणार-विन्दम् ।

 

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

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