Nitya-Path-Sangrah-Stotra-Hindi-Book-PDF

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नित्य पाठ संग्रह स्तोत्र हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Nitya Path Sangrah Stotra Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : नित्य पाठ संग्रह स्तोत्र | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: अज्ञात | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अर्धरात्रि महाराग्या सेवा संस्था ट्रस्ट, जम्मू | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 78 MB है | इस पुस्तक में कुल 233 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "नित्य पाठ संग्रह स्तोत्र" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Nitya Path Sangrah Stotra | Author/Editor of this book is : Unknown | This book is published by : Ardharatri Maharagyan Seva Sanstha Trust, Jammu | PDF file of this book is of size 78 MB approximately. This book has a total of 233 pages. Download link of the book "Nitya Path Sangrah Stotra" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
अज्ञातधर्म, भक्ति78 MB233



पुस्तक से : 

मां के चरणों के अनुराग को निरंतर बनाए रखने तथा उसका संवर्धन करने की दृष्टि से हमने नित्य पाठ विधि, स्तोत्रावली तथा भजन-लीला संग्रह को प्रकाशित किया है। इस प्रकाशन का उद्देश्य यह है कि भक्तों की अध्यात्मिक प्यास भी संतुष्ट हो तथा उनके मन में कभी उठने वाली किसी प्रकार की शंका का भी निवारण हो.

 

प्रथमं वक्रतुण्डं तु चैकदन्तं द्वितीयकम्, तृतीयं कृष्णपिङ्गं तु चतुर्थं च कपर्दिनम्, लम्बोदरं पंचमं तु षष्ठं विकटम्-एवच, सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम्, नवमं भालचन्द्रं तु दशमं तु विनायकम, एकादशं गणपतिं द्वादशं- मन्त्रनायकम् पठते श्रृणुतेयस्तु, गणेश - स्तवम - उत्तमं, भार्यार्थी लभते भार्यां द्यनार्थी विपुलं धनम्, पुत्रार्थी लभते पुत्रम्, मोक्षार्थी परमं पदम् इच्छाकामं तु कामार्थी धर्मार्थी-धर्मम्-अक्षयम् ।।

 

ॐ तत् सत-ब्रह्म अथतावततिथावध अमुकमास्य, अमुकपक्षस्य तिथावमुकायां नित्यकर्मनिमितं । पित्रे पितामहाय प्रपितामहाय मात्रे पितामहाय मात्रे पितामही, प्रपितामही। मातामहाय प्रमातामहाय, वृदप्रमातामहा मातामही प्रमातामही, वृदप्रमातामही, समस्तमाता पितृभ्यो द्वादशदैवतेभ्यः पितृभ्यो दीपः स्वधा धूपः स्वधा ।

 

 

इस स्तोत्रावली संग्रह का प्रकाशन हम देवी माता के भगतजनों के आग्रह तथा अनुरोध से प्रेरित होकर कर रहे हैं। जनता भली-भांति जानती है कि हमारी संस्था कश्मीरमें उत्साह से कार्यग्रस्त रहती थी। हर प्रकार के धार्मिक काम मैं आगे-आगे रहती थी।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

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