Punarjanm-Kyon-aur-Kaise-hindi-book-pdf


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पुनर्जन्म क्यों और कैसे हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Punarjanm Kyon aur Kaise Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : पुनर्जन्म क्यों और कैसे | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: स्वामी सतप्रकाशानन्द | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अद्वैत आश्रम, कलकत्ता | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 14 MB है | इस पुस्तक में कुल 66 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "पुनर्जन्म क्यों और कैसे" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Punarjanm Kyon aur Kaise | Author/Editor of this book is : Swami Satprakashananda | This book is published by : Advaita Ashram, Calcutta | PDF file of this book is of size 14 MB approximately. This book has a total of 66 pages. Download link of the book "Punarjanm Kyon aur Kaise" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
स्वामी सतप्रकाशानन्द अध्यात्म, दर्शन14 MB66



पुस्तक से : 

पुनर्जन्म सम्बन्धी लेखक की विवेचना से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि पुनर्जन्म के सिद्धान्त को आधुनिक विज्ञान की गवेषणाओं से कोई भय नहीं। बल्कि यह सिद्धान्त ऐसी अनेक घटनाओं का स्पष्टीकरण करता है जिन्हें न तो वैज्ञानिक विश्लेषण से, न ही किसी और मतवाद के सहारे इतने सन्तोषजनक रूप से स्पष्ट किया जा सकता है। पुनर्जन्म के सिद्धान्त तथा इसके परिपूरक कर्मवाद का सर्जनात्मक, अर्थपूर्ण एवं दायित्वपूर्ण जीवन के साथ सीधा सम्बन्ध है।

 

पुनर्जन्म के सिद्धान्त का प्रचार विशेषतः हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म करते हैं। इस सिद्धान्त के अनुसार जब तक मनुष्य जगत्प्रपञ्च के आकर्षणों से मुक्त नहीं हो जाता तब तक उसे पुनः एक नये मानव शरीर में जन्म लेना ही पड़ता है। हिन्दुओं तथा बौद्धों के पुनर्जन्म सम्बन्धी मतों में सूक्ष्म भिन्नताएँ हैं।

 

साधारणत: लोगों को अपने पूर्वजन्म याद नहीं होते। फिर भी प्राचीन तथा आधुनिक कालों में किन्हीं किन्हीं विशेष क्षेत्रों में कुछ ऐसे व्यक्तियों के विवरण मिलते हैं जिन्हें अपने पूर्व के एक या एकाधिक जन्मवृत्तान्त याद हों। अनेक क्षेत्रों में पूर्वजन्म की उनकी स्मृतियों की सत्यता को प्रमाणित भी किया गया है ।


 

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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