Sunderkand-Gita-Press-Book-PDF


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सुन्दर काण्ड (श्री रामचरितमानस) हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Sunder Kand (Shri Ramcharitmanas) Hindi Book



इस ग्रन्थ का नाम है : सुन्दर काण्ड | इस ग्रन्थ के मूल लेखक है: श्री गोस्वामी तुलसीदास | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 1 MB है | इस पुस्तक में कुल 128 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "सुन्दर काण्ड" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Sunderkand | Author of this book is : Shri Goswami Tulsidas | This book is published by : Gita Press, Gorakhpur | PDF file of this book is of size 1 MB approximately. This book has a total of 128 pages. Download link of the book "Sunderkand" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
गीता प्रेस, गोरखपुरधर्म, भक्ति1 MB128



पुस्तक से : 

एक बात निर्विवाद है कि सुन्दरकाण्ड का श्रद्धालुजन अनुष्ठान करते है, जिससे उनकी प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है। दूसरी बात सुन्दर काण्ड की कथा, पात्रों के स्वभाव और आचरण आदि में आध्यात्मिकता तथा रहस्यात्मकता का मणिकाञ्चन-संयोग दिखायी पड़ता है।

 

सुन्दरकाण्ड की अनन्त विशेषताओं से पाठकों को परिचित कराने के उद्देश्य से गीता प्रेस से इसके कई संस्करण प्रकाशित किये गये हैं। इस संस्करण में पाठकों को अनुष्ठान के रूप में शुद्ध पाठ करने की सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से प्रारम्भ में श्रीजानकीनाथ जी की आरती और पारायण-विधि दी गयी है, जिससे पाठक आवाहन, न्यास तथा ध्यान के साथ शुद्ध पाठ कर सकें।

 

यद्यपि सम्पूर्ण श्रीरामचरितमानस ही मनोहर है, किन्तु इसका सुन्दरकाण्ड अत्यन्त ही मनोहर है। जिस प्रकार महाभारत का विराटपर्व सर्वश्रेष्ठ अंश है, उसी प्रकार श्रीरामचरितमानस में सुन्दर काण्ड सर्वश्रेष्ठ अंश है। इसके श्रेष्ठताका कारण बताते हुए कहा गया है - 'सुन्दरे सुन्दरो रामः सुन्दरे सुन्दरी कथा । सुन्दरे सुन्दरी सीता सुन्दरे किन्न सुन्दरम् ॥' अर्थात् सुन्दरकाण्ड में श्रीराम सुन्दर हैं, कथा सुन्दर है, सीता सुन्दर हैं। सुन्दर में क्या सुन्दर नहीं है। इसके अतिरिक्त इसमें हनुमान्जी का पावन - चरित्र है जो भक्तोंके लिये कल्पवृक्ष है ।

 

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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